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ज़िन्दगी की रफ़्तार
तेरे सोचे से अब भला कम क्या होगी,
बेशक तु अब अपने क़दमों की तेज़
फलांग कुछ और बढ़ा ले
:
ज़िंदगी गतिमान है
और गति निमित है सदा
कुछ रुक कर थमकर
अपनों सँग कुछ वक़्त बिता ले :
मुस्कुराहट जो ला दे चेहरे पे
वही हो जाता है अपना सा
जो पुरे सफऱ साथ रहे
ऐसा कोई दोस्त बना ले :
जो जताना हो सबसे नेह तो
कर ले ख़ुद से भी प्रेम,
यूँ खुद से खुद के रिश्ते की एक
मज़बूत सी नींव जमा ले :
*©®आराध्या अरु*
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