कवयित्री एकता जी द्वारा सुंदर रचना

शिकायत नहीं ये मेरी तुमसे कि वक़्त तुमने मुझे दिया नहीं।
शिकायत तो इस बात की है कि मुझे तुमने कभी समझा नहीं।
मैंने इश्क, इबादत अरदास,मन मंदिर का रब तुमको ही माना,
शिकायत रहेगी जन्मों-जन्म तक मुझे मुहब्बत का सिला दिया नहीं।
              ** एकता कुमारी **

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