कवयित्री- आ. मीनू मीना सिन्हा मीनल जी द्वारा प्यारी रचना...

मुक्तक 
बुलंदी पर हमारी हिंदी

 मच रहा  शोर हिंदी हिंदी
कौन -सी है यह अक्लमंदी
बिन पेंदी का लोटा नाचे
 गोदी झूले मन आनंदी

 कहांँ-कहांँ करना हदबंदी 
किधर किधर क्यों काराबंदी
किसकी नाकेबंदी करनी
किससे करनी मोर्चाबंदी

क्यों हमसब करें किलाबंदी
किसी की  करें तालाबंदी?   
रजामंदी सबकी  हुई है
 तुकबंदी भरी हुनरमंदी 

है हमारी आन-बान-शान 
हिंदी जान- जहान अभिमान 
बोली-चाली अपनी-अपनी
हिंदी है सद्गुणों की खान 

हिंदी करे सेहराबंदी 
और हुई माथे की बिंदी
चिंदी -चिंदी  सब उड़ जाएँ 
बुलंदी पर हमारी हिंदी।

मीनू मीना सिन्हा मीनल
राँची

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ