कवि- आ.चंन्द्र प्रकाश गुप्त चंन्द्र जी द्वारा सुंदर रचना

शीर्षक -  *धधक*

धधक धधक रही है अनल प्रचंड हमारे तन मन उर में

वीर शहीदों का बदला लेने कूंद पड़ूं अब राष्ट्र समर में

इतिहास भूगोल सब पलट कर रख दूं भारत माता के चरणों में

उकसाने धमकी देने वाले शैतानों को धूल चटा दूं पल भर में

असुरों के वंशज अब भी जिंदा हैं बसुधा के कुछ भागों में

विध्वंसक दैत्य अवरोध वने हैं सृजनशील निर्माणों में 

धधक धधक रही है अनल प्रचंड हमारे तन मन उर में

वीर शहीदों का बदला लेने कूंद पड़ूं अब राष्ट्र समर में


🇮🇳 जय हिन्द वन्देमातरम 🇮🇳

        चंन्द्र प्रकाश गुप्त चंन्द्र    
         अहमदाबाद , गुजरात
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मैं चंन्द्र प्रकाश गुप्त चंन्द्र अहमदाबाद गुजरात घोषणा करता हूं कि उपरोक्त रचना मेरी स्वरचित मौलिक एवं अप्रकाशित है
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