कवि नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर जी द्वारा 'वर्षा' विषय पर रचना

वर्षा ऋतु प्यारी न्यारी 
जिंदगी का एहसास जगावे।।

कभी बचपन के अठखेली
कागज़ की कश्ती बारिश 
का पानी बालपन वर्षा का
आनन्द बतावे।।

सावन की वर्षा मन हर्षा
जवां प्यार की बहार 
रिम झिम फुहार प्यार का
खुमार ह्रदय भाव से पानी पानी।।
सावन की घटाओं में ख्वाबों की
अदाओ अदा बहार आरजू आसमान अंतर्मन पाये।।

वर्षा ऋतु में सावन के सुहाने मौसम में चाँद बादलो के आगोश में इश्क इज़हार की प्यास प्यार में दिल पानी पानी कशिश काश की
प्यास बुझाये।।

सावन वर्षा  मन हर्षा  वो आएगी
मन भायेगी भीगा बदन गालो पे सावन की बुँदे शबनम।          

नादां इश्क का जज्बा जूनून जोश जश्न का हाल प्याला मधुशाला का रस मकरंद बतायेगी।।

उमड़ घुमण वर्षा के बादल 
मन भबराये जीया तरसाये
कभी घनघोर कभी आये
जायें।।

वर्षा ऋतु शुख दुःख दोनों आश
विश्वाश धरती की प्यास बुझायें
सुखी धरती के दामन को ऊसर
बंजर से बचाये।।

वर्षा ऋतू प्यारी चुहू ओर
हरियाली अँधा भी हरियाली
खुशहाली का राग सुनाये।।

वर्षा ऋतु तीज त्योहारों का
अलख जगाये कृष्ण जन्म
युग दृष्ट्री का देव आयें।।

रक्षाबंधन स्वतंत्र राष्ट्र का
वन्दे मातरम् जन गण मंगल
दयाक जय हो गाये।।

वर्षा ऋतु प्रकृति प्राण की
बुनियाद इश्क मोहब्बत प्यार
यार का इंतज़ार का अवसर
ऋतु ख़ास गीत गाये।।
 
वर्षा ऋतु हरियाली तीज सावन का झूला सखियो का मेला राधा और कान्हा मधुबन का रास रचावे।।
वर्षा ऋतु का बचपन वर्षा का युवा यौवन पहली कर्षा पहला
सावन गोरी छोरी की मादकता
मस्ती मौसम आये।।

नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर

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