नमन बदलाव मंच🙏🏻🙏🏻🌹🌹
श्रृंगार रस रचना
सूरत लगे प्यारी
तेरे आंखों के काजल से हुई है रात अंधियारी
खिला जो चांद अंबर पर तेरी सूरत लगे प्यारी
तेरे माथे की बिंदिया से सुकूं का दीप जलता है
तेरे संदल की खुशबू से महक जाए धरा सारी
तेरे होठों की लाली से कली खिलें फूल मुस्कुराए
तेरे जुड़े के खुलने से घटा घनघोर छायी है
बरस जाए के भींगू मैं तू भी हो जाए मतवाली
तेरे दामन से गुजरी थी बड़ी शीतल बयारें जो
बड़े तूफानों से गुजरी बही तुझ संग जो पुरवाई
फकत एक शम्मा काफी है तेरा मकां सजाने को
तेरे गुलशन पे कायम है प्यार की एक चिंगारी
तेरे इस रुप पे सदके दीवाने होंगे दिलवाले
मगर मेरा इश्क सच्चा है बिता दूं ये उमर सारी
रजनी शर्मा चंदा
रांची, झारखंड
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