कवि- डॉ. राजेश कुमार जैन जी द्वारा रचना (विधा - दोहे)

सादर समीक्षार्थ
विधा     -         दोहे



 हैं प्रभु बदरीश यहाँ
भोलेनाथ का है धाम
 गंगा यमुना का उद्गम 
है यहीं स्वर्ग का धाम ..।।

फूलों की घाटियाँ अनेक
 और गिरिश्रृंगों की कतार
 चूमती  हैं   गगन  यहाँ
 सुवासित है पवन यहाँ..।।

देवता विचरते हैं  यहाँ
 ऋषियों के आवास यहाँ
 ज्ञान की निर्मल गंगा
 कलकल बहती है यहाँ..।।

 सभ्यता संस्कृति की भूमि
 प्यार और सम्मान यहाँ
 उत्तराखंड की पुण्य भूमि
 आओ सब प्रणाम करें..।।



 डॉ. राजेश कुमार जैन
 श्रीनगर गढ़वाल
 उत्तराखंड

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