दिनांक--18-09-2020
शीर्षक- वर्णमाला - व्यंजन
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स्वरचित रचना
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क = कर्मफल का करो विचार,
ख = खत्म करो सब बैर विचार।
ग = गया वक्त लौट नहीं आता,
घ = घड़ी पल में बितता जाता।
ङ = अङ्गिकार कर सदाचार।
च = चलो सत्य के पथ पर,
छ = छोड़ो सब मिथ्या विचार।
ज = जपलो हरपल प्रभु को,
झ = झंझावतों से देगा उबार।
ञ = संञ्चित होंगे शुद्ध विचार।
ट = टकराये जो अहम विचार,
ठ = ठहर जाएंगे जीवन बहाव।
ड = डटकर करो सामना तो,
ढ = ढह जाएंगे दुख के पहाड़।
ण = प्रण ही बाधाएँ देगा तोड़।
त = तैयारी यदि जीत की करनी,
थ = थकने का नहीं करो विचार।
द = दर्पण सा जीवन बन जाए,
ध = धर्म का यदि करो व्यवहार।
न = न्याय की थामें रहो पतवार।
प = परोपकार करो तुम जग में,
फ = फल की इच्छा मत करना।
ब = बनकर प्रभु के सच्चे बंदे,
भ = भक्ति भाव दिल में रखना।
म = मानव हो मानवता रखना।
य = यही समय है सही राह पर,
र = राही कदम बढा़ते जाना।
ल = लड़खड़ाए ना कदम कहीं,
व = वचन वक्त पर हमे निभाना।
ष = षड्यंत्रों से नाता तोड़ो।
स = सत्य के अनुगामी बनकर,
ह = हर खुशियों से नाता जोड़ो।
क्ष = क्षमा मिटाता वैर है सारे,
त्र = त्रिविध ताप से प्रभु बचाते।
ज्ञ = ज्ञान मिटाता है दुख सारे,
ऋ = ऋषि मुनी यह बात बताते।
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नाम-रमेश चंद्र भाट
पता-टाईप-4/61-सी,
रावतभाटा, चितौड़गढ़,
राजस्थान।
मो.9413356728
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