"प्राइवेट संस्थान का शिक्षक और शिक्षक दिवस" शीर्षक पर लेखिका प्रतिभा द्विवेदी मुस्कान जी द्वारा रचित

*प्राइवेट संस्थान का शिक्षक और शिक्षक दिवस*
*(एक हकीकत*)
शिक्षक स्वयं सम्मानीय है ...
इसका सम्मान तो कोई कर ही नहीं सकता !!!
ऐसे उत्कृष्ट आख्यानों से
शिक्षक को बहलाया जाता ...
शिक्षक दिवस पर शिक्षक को
मसीहा से कम नहीं समझा जाता

विद्यार्थी हो या मेनेजमेंट
बड़ी तीख की बातें करते हैं !!
शिक्षक दिवस पर शिक्षक को
हवा में उछाल देते हैं ।।
आश्चर्य चकित शिक्षक होता है ,
364 दिन ये क्यों नहीं होता है??
भावविभोर शिक्षक हो जाता ..
भाषण में आशीष सब पर बरसाता ।।

शिक्षक दिवस गुजरते ही
फिर मेनेजमेंट अपनी पर आता
एम. ए.किया है हिन्दी में और
इतिहास का टीचर उसे बनाता..!
शिक्षक की आनाकानी करने पर
कैसे शिक्षक ??? ये फर्माता ।।
शिक्षक को राजी करने को
चने के झाड़ पर उसे चढ़ाता
आप तो अद्भुत ज्ञानी है ..
हर विषय के जानकार हैं ।
आप से बेहतर नहीं है कोई
आप ही सही जानकार हैं ।
शिक्षक भी सोचता ठीक है
और कर लेता स्वीकार है ।
ऐसे ही मना मना कर
छः सात विषय थमा देता है ।
छः टीचर की तनख्वाह बचाकर
एक से काम चला लेता है ।
अब तो फँस जाता है शिक्षक
हर विषय को पढ़ के पढ़ाता है ।
अपना विषय भूलकर अब तो
हर विषय के बेस में खो जाता है ।
जी.के. शिक्षक का इस तरह
थोड़ा तैयार हो जाता है ।
जब आंतरिक परीक्षा आती है
और पेपर बनाने पड़ते हैं ..
उस वक्त उसे फिर एक बार
चने के झाड़ पर चढ़ाया जाता है
या फिर अपना रौब दिखाकर
शिक्षक से यूँ फर्माता है।।।
पेपर तो टाइप्ड ही देना होगा
लिखित कदापि न लेंगे !!!
अब शिक्षक को कामचलाउ
क्लर्क बना दिया जाता है ।।
और ऑपरेटर का पेमेंट भी
फुल टू बचाया जाता है ।।।
बेचारा शिक्षक
अपनी डिग्री को देखकर ..
सिर को धुनता जाता है ।।।
इसी शिक्षक को शिक्षक दिवस पर...
भाषण में प्रणेता , नेता , ईश्वर तुल्य..न जाने क्या-क्या बोला जाता है ।।।

विद्यार्थी भी माशा अल्लाह इसके
मस्का गजब लगाते हैं ..
सबसे अच्छे आप हो सरजी
आपका ही पढ़ाया समझ में
आता है ....
हमको तो आपका पढ़ाया सबकुछ याद हो जाता है !!
सर हमको नोट्स दे दोगे आप
हम रेगूलर नहीं आ सकते हैं !
हमने मेनेजमेंट से बात कर ली है
उन्होंने परमीशन दे दी है ।
कुछ और गजब के होते हैं
गुंडागर्दी में माहिर होते हैं
ना कभी क्लास में आते हैं
न इंटरनल एग्जाम देते हैं ।।
लेकिन भाई लोगों के
परीक्षा फल
एकदम एवन के होते हैं!!
ऐसे ही विद्यार्थी शिक्षक दिवस पर
शिक्षक को भेंट भी देते हैं ।
और एक दिवस के लिए
इस शिक्षक को
शिक्षक होने का आभास देते हैं ।
364 दिन तो इस शिक्षक की
मट्टी पलीत ही करते हैं ।।
मट्टी पलीत ही करते हैं।।
(केवल 10%विद्यार्थी व मेनेजमेंट शिक्षक की गरिमा को समझते हैं और आदर भी देते हैं  । उनके कारण ही प्राइवेट शिक्षक का अस्तित्व है वरना कोई भी शिक्षक प्राइवेट में कम पेमेंट में पढ़ाने नहीं जाता )
*वर्तमान अशासकीय संस्थाओं में* *शिक्षक की वास्तविक स्थिति यही है* ... *योग्यता सरकारी शिक्षक से अधिक ही होती है**
*बस किस्मत नहीं होती है* ... *इसलिए सरकारी शिक्षक को 50000 रुपए सैलरी और प्राइवेट को 5000 रुपए  मिलते है*.....
लेखिका प्रतिभा द्विवेदी मुस्कान © सागर मध्यप्रदेश ( 01 सितंबर 2020 )
मेरी यह रचना पूर्णतः स्वरचित मौलिक व प्रमाणिक है सर्वाधिकार सुरक्षित हैं इसके व्यवसायिक उपयोग करने के लिए लेखिका की लिखित अनुमति अनिवार्य है धन्यवाद🙏

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