आलोक से उधर मिला#बाबूराम सिंह जी द्वारा अद्वितीय रचना#

🔥आलोक से अधर मिला 🔥
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कई जन्मोंके पुण्यसे प्यारे प्रभुकृपा का वर मिला ,
नाहक नही गंवाओ इसको नरतन जोसुन्दर मिला।

प्रगतिका इतिहास सदासेआपस कासहयोग ही है ,
कर शुभ सहयोग परस्पर और प्यार से कर मिला।

जीवन बगिया की महक मानवता मुस्कान से है,
कर्म  प्रधान नरयोनि में सत्कर्म शुअवसर मिला।

परमार्थ पुरुषार्थ परहित जगमें पावनपथ मिला ,
प्रेम ,त्याग ,संतोष से विचार उच्च स्तर   मिला ।

दुख परगुण निज अवगुण दया धर्मस्त रहना है,
भव्यता  के  भाव  में  भवपार का डगर मिला ।

सर्व सम्मत से सुखद प्रभुप्राप्ति ही अंतिम लक्ष्य है,
सदभाव  सेवा  सत्यता से नाम यश अमर  मिला ।

बद  बेइमानी  बहस  निन्दा  नरक की  खान है ,
बढ़ आगे "बाबूराम कवि "आलोक से अधर मिला।

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बाबूराम सिंह कवि 
बड़का खुटहाँ , विजयीपुर 
गोपालगंज (बिहार)८४१५०८
मो०नं०- ९५७२१०५०३२
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