*नमन बदलाव मंच*
*मेरी स्वरचित रचना*
*विषय - "कमजोर कहाँ हो तुम नारी "*
कमजोर कहाँ हो तुम नारी
तुम अतुल सर्वशक्ति जो
तुम ही राधा सी भक्ति हो
कमजोर कहाँ हो तुम नारी
तुम शक्ति की अभिव्यक्ति हो
तुम शक्ति की अभिव्यक्ति हो
तुम उड़ती तितली सी हो
जो इज्जत में आंकी जाओ
गरजती बिजली सी हो
कमजोर कहाँ हो तुम नारी
एक एक पर हो तुम भारी
तुम मधुबन सी मधुर बाला हो
परखी जाओ जो चरित्र में
तुम पर्वत सी फटती ज्वाला हो
कमजोर कहाँ हो तुम नारी
तुम चिंगारी नहीं तुम शोला हो
तुम सीता सी पावन हो
तुम रावण की मत्यु का कारण हो
तुम रामायण का निवारण हो
कमजोर कहाँ हो तुम नारी
तुम रावण अंत संहारी हो
तुम जलती तेजाबो में
शोषित होती बाजारो में
जल जल ना राख बनो
कमजोर कहाँ हो तुम नारी
तुम व्यक्तित्व, का अभिमान बनो
*गरिमा विनित भाटिया*
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