🔥भारत की भाषा हिन्दी 🔥
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भारत की भाषा है हिन्दी,सबसे सुन्दर जान।
यही दिला सकती हमें,यश गुण मान सम्मान।।
सभ्यता संस्कृति सुखद ,सुधर्म सुचि परिवेश।
हिन्दी से ही पायेगा , प्यारा भारत देश।।
सरल शुभ है सदा सरस,हिन्दी मय व्यवहार।
सभी के उर हिन्दी बसै,फैले सदा बहार।।
रचा बसा है हिन्दी में,आपस का सदभाव।
हो सकता इससे सुखी ,शहर देश हर गांव।।
आओ हम सब मिल करे ,हिन्दी सतत प्रचार।
सुचि सेवा सदभाव का,छुपा इसी में सार।।
अनुपम भाषा देश की,अतिशय प्यार दुलार।
मातृ भाषा हिन्दी बने, हिन्द गले का हार।।
हिन्दी हित सबका करती,दे सुयश आलोक।
आत्म सात करो हिन्दी, बने लोक परलोक।।
पढो़ लिखो बोलो हिन्दी,करो हिन्दी प्रसार।
गुणगान चहुंदिश इसका, गावत है संसार।।
देश भाषा हिन्दी बने ,सबका होय उत्थान।
रख सकती है हिन्दी ही, भारत की पहचान।।
समाहित कर कौम सभी,निज में अपने आप।
शुभता समता का सुखद,हिन्दी छोडे सुछाप।।
हिन्दी हक पाये अपना ,बने सभी का काम।
हिन्दी से उज्ज्वल होगा , विश्व गुरु का नाम।।
हिन्दी का हर रुप भव्य,यह भारत की हीर।
पाये यश बच्चन दिनकर,तुलसी सूर कबीर।।
एकजुट हो सब कोई ,करो इधर भी कान।
हिन्दी बिन गूंगा बहरा, भारत देश महान।।
हिन्दी बिना हरगिज नहीं,मिल सकता आराम।
भारत की हर सुख हिन्दी,सच "कवि बाबूराम।।
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बाबूराम सिंह कवि
बड़का खुटहाँ , विजयीपुर
गोपालगंज(बिहार)841508
मो0नं0- 9572105032
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