रामधारी सिंह दिनकर#नेहा जैन जी द्वारा शानदार रचना#

रामधारी सिंह दिनकर

जिला मुंगेर में जन्में
किसान परिवार में पले बढ़े
जीवन का तीखा रूप
जो बचपन से देखा था
बनके ज्वार वो उमड़ा
फिर रेणुका, हुंकार रसवंती रचे गए
12वर्ष  तक संसद सदस्य रहे
भागलपुर विश्वविद्यालय में कुलपति भी नियुक्त हुए
गांधीवादी अहिंसा की
आलोचना करने वाले"कुरुक्षेत्र" का सम्मान हुआ
"उर्वशी" ने दिनकर की कविता को नए शिखर तक पहुँचा दिया
स्वतंत्रता संग्राम में भी कूद पड़े
सिंहासन खाली कि जनता आती है
का उद्घोष करके सरकार के खिलाफ शंख बजाया
डाकटिकट भी जारी हुआ नाम पर इनके
24अप्रैल19474 को मनहूस वो घड़ी आई
राष्ट्रकवि दिनकर दुनियाँ से विदा हुए
पर कलम उनकी आज भी रोशन है
साहित्य के गलियारों में।।।



स्वरचित
नेहाजैन

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