पिता#भास्कर सिंह माणिक ( कवि एवं समीक्षक) कोंच जी के द्वारा उम्दा रचना#

मंच को नमन
दिनांक - 17 सितंबर 2020
दिन -गुरुवार
विषय -पिता
आकाश की तरह विशाल हृदय होता है पिता का
हमेशा ममता भाव ह्रदय में रहता है पिता का
पहाड़ जैसा कठोर मोम जैसा मुलायम
बरगद की तरह साया रहता है पिता का

दिल से निस्वार्थ मिलता प्यार पिता का
हर परिस्थिति में मिलता दुलार पिता का
अपनी जां तक कर देता है हंसकर बलिदान
कभी न भूलना जीवन में करना सत्कार पिता का

हर पथ पर साथ रहता है वरदान पिता का
मुश्किलों से बचा कर लाता है ज्ञान पिता का
वह कभी नहीं होते जीवन में परेशान
जो सही सही समझ लेते हैं विज्ञान पिता का

करते रहना जीवन में सम्मान पिता का
कभी उजड़ने नहीं देना उद्यान पिता का
वो कब रच सके हैं नव इतिहास जहां में
जो करते हैं जगत है आपमान पिता का
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मैं घोषणा करता हूं कि यह रचना मौलिक स्वरचित है।
भास्कर सिंह माणिक ( कवि एवं समीक्षक) कोंच

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