'बदलाव मंच' कवि व समीक्षक भास्कर सिंह माणिक कोंच जी द्वारा 'हाथ की लकीरें' विषय पर रचना

मंच को नमन
विषय-हाथ की लकीरें

बदल देता है
श्रमिक
अपने कठिन श्रम से
हाथ की लकीरें

भाग्य की
कभी नहीं करता
निरर्थक बातें
अपने अडिग विश्वास से
बदल देता है 
श्रमिक
हाथ की लकीरें

ग्रीष्म वर्षा शीत
करता है स्वागत
नभ उतारता है आरती
पहाड़ छोड़ देते है राह
लक्ष्य चूमता है कदम
रचता है नव पृष्ठ
बदल देता है
श्रमिक
हाथ की लकीरें
------+---+----+----
मैं घोषणा करता हूं कि यह रचना मौलिक स्वरचित है।
भास्कर सिंह माणिक, कोंच

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ