अन्नदाता देश का जब दुखी होगा,
तो कल्याण कैसे कहां किसका होगा।
अन्नदाता का जब हाल फकीर सा होगा,
थाली का हमारी फिर हाल बुरा होगा।
अन्नदाता के बिना देश भूखा होगा,
विदेशों से सोचो कहां कितना क्रय होगा।
अन्नदाता को दलालों से बचाना होगा,
क्रांति का बिगुल फिर से बजाना होगा।
अन्नदाता का असंतोष मिटाना होगा,
शांति सहयोग से विकास बढ़ाना होगा।
सोई सत्ता को नींद से जगाना होगा,
अन्नदाता की जरूरत से रूबरू कराना होगा।
अन्नदाता जो राजनीति से ठगा होगा,
विश्वास मेहनत पर भला कैसे होगा।
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साधना मिश्रा विंध्य
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