कवि दिनेश चंद्र प्रसाद "दीनेश" (विषय- बेरोजगारी)

बदलाव अंतरराष्ट्रीय-रा
दिनाँक-२९-९-२०२०
शीर्षक-"बेरोजगारी"
किसी को कोई काम न हो
कहते हैं उसे बेकाम का है
किसी को कोई रोजगार न हो
उसे कहते हैं सभी बेरोजगार
यही बढ़कर हो जाती बेरोजगारी
आज पूरे विश्व बेरोजगारी बढ़ गई है
भारत में तो और ज्यादा हो गई है
ये समस्या सरकारों द्वारा बनाई गई है
अपने लूट खसोट के लिए
ये समस्या उतपन्न की गई है
घाटे का बहाना बनाकर
कुछ लोगों के फायदे के लिए
रोजगार खत्म किये गए हैं
पहले से ही यह समस्या हाजिर थी
सरकारी संस्था बन्द कर 
औऱ इसे बढ़ाई गई है
बेरोजगारी तो सरकार
द्वारा पैदा की गई है
देश में बहुत से अवसर हैं रोजगार के
पर सरकार उसे होने नहीं देगी
बेरोजगारी खत्म हो जाएगी
चुनावी मुद्दा खत्म हो जाएगी
इसलिए "दीनेश" बेरोजगार बनें रहें
नेताओं के लिए तोड़ फोड़ करते रहें

दिनेश चंद्र प्रसाद "दीनेश" कलकत्ता
रचना मेरी अपनी मौलिक रचना है।

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