राष्ट्रीय अंतराष्टिय साप्ताहिक प्रतियोगिता
28/9/ से 4/10/2020
कविता :- गांधी जी
गाँधीजी संसार के अनुपम
विभूति |
जब जन्मे माँ की गोद में,
धूम मचे थे अन्याय और अत्याचार |
माँ तो वैष्णव सम्प्रदाय के पाठ पढाकर शांति मार्गों की कहानी सुनाई |
बाल्यावस्था में ही ब्याहे कस्तूरबा के जीवन संगिनी के रूप में |
मां का वचन पालन करते ,
विदेश में पढाई करने के लिए चले l
प्रतिज्ञा का पालन किया, इंगलैंड में बड़ा सात्विक जीवन व्यतीत किया |
अफ्रीका में काले गोरों में भेद - भावों को प्यार से हल किया l
देश-जन पर जुल्मों को देख सहन नहीं किया , आंदोलन छेड़कर विरोध किया |
वचनभ्रष्ट अंग्रेज़ों को सबक सिखाने, सारे भारतीयों को जुटाकर चले आजाद कराने |
आहत हुए जालियनवाला हत्याकांड के प्रति ,
जन को आग्रह कर अंग्रेज़ों के शासन को असफल बना दिया |
विद्यार्थीयों को भी छेड दिया शामिल होनेे आंदोलन में, तन - मन से लडने देश के प्रति |
गांधी थे दूरदर्शी नेता पहले सुधारे, नैतिक, आर्थिक और सामाजिक स्थिति को |
विरोध करते रहे शराब, मादक पदार्थों का और एकता
में भी पारंगत थे अछूतों का उद्घार करने हेतु |
सत्य और अहिंसा के बल पर ही,
विदेशी सत्ता को उखाड़ कर फेंक दिया आपने |
देश को आजाद कर, त्याग कर दिया राजनीति की सत्ता को |
हे राम उद्घार करते, गोड्से की गोली का शिकार हो गये देश को आजाद करके |
वंदन करते हैं हम तुम्हें, याद हमेशा करते ,महात्मा बन गए सारे विश्व जनो के दिलो में वास करके |
डॉ मलकप्पा अलियास महेश बेंगलूर कर्नाटक
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