बाल गीत#डॉ अलका पाण्डेय जी मुम्बई द्वारा अद्वितीय रचना#

साहित्य मित्र मंडल 
बाल गीत 
बचपन
नन्हा मुन्हा बचपन हूँ 
सुदंर सुनहरा प्यारा 
दुलारा न्यारा सा बचपन हूँ  !!

नही थकू मैं नहीं रुकू 
सबको खुब छकाता रहा !!

दोपहर भर हमने खूब हुड़दंग मचाया 
नाना जी के सामने भोला बन गया !!

चाकलेट,  बिस्कुट , खूब पा गया 
मैंने खाया  दोस्तों को भी खिलाया !!

नन्हा मुन्हा बचपन हूँ 
सुदंर सुनहरा प्यारा 
दुलारा न्यारा सा बचपन हूँ  !!

बारिस में खेलू गिल्ली  डंडा 
बचपन का है कुछ निराली फ़ंडा 

न आँधियों का डर न लू लगने की फ़िक्र 
न बारिस से बचना , न मटमैले कपडो की फ़िक्र !!

वो नदी में नहाना , पेड़ पर चढ़ना फल तोड़ना 
ग़ज़ब की फुर्ती से माली को चकमा देना !!

नन्हा मुन्हा बचपन हूँ 
सुदंर सुनहरा प्यारा 
दुलारा न्यारा सा बचपन हूँ  !!

डॉ अलका पाण्डेय मुम्बई

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