राजभाषा हिन्दी#रमेश चंद्र भाट जी द्वारा#

दिनांक--12-09-2020

शीर्षक- राजभाषा हिन्दी (मुक्तक) 
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स्वरचित रचना
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14'सितंबर 1949 का दिन है आया,
संसद ने  मंथन कर  यह है बतलाया,
भारत में सर्वाधिक समझते हैं हिन्दी,
उसने  राजभाषा  का स्थान है पाया।       

क्रांतिकारीयों ने जिसे दिल से अपनाया,
आजादी पा  नेताओं  ने  इसे बिसराया,
अंग्रेजी  के  गुलाम  नेताओं के  कारण,
हिन्दी ने  समुचित  सम्मान  नहीं  पाया।

ऋषि दयानंद ने वेदों को हिन्दी में समझाया,
गांधी जी ने राष्ट्र हित हिन्दी को अपनाया,
प्रथम  प्रधानमंत्री  के  अंग्रेजी  प्रेम  ने,
हिन्दी को बहुत  ही  नुकसान पहुंचाया।

प्रण ले सच्चे से हम हिन्दी को अपनाएंगे,
अपने बच्चों में भी हिन्दी का ज्ञान बढ़ाएंगे,
मैकाले के कुटिल चक्र से यदि उबरना चाहें,
अंग्रेजी का मोह छोड़ सब हिन्दी में बतियाएंगे।

गुड मार्निंग  इवनिंग को छोड़े,
यस सर  यस मैडम  को छोड़े,
अभिवादन भारतिय है अपना,
नमस्ते  से  अपने   को  जोड़े।

बदलाव  हमें   अब  लाना  है,
हिन्दी का  प्रकाश  फैलाना है,
टिप्पणियां करें सिर्फ हिन्दी में,
हिन्दी में ही  सब समझाना है।
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
नाम-रमेश चंद्र भाट
पता-टाईप-4/61-सी,
रावतभाटा, चितौड़गढ़,
राजस्थान।
मो.9413356728

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