मंच को नमन
विषय - सुमित्रानंदन पंत
विधा - कविता
करके अद्भुत प्रकृति चित्रण
बने छायावाद के आधार स्तंभ
जन्म लिया जिसने अल्मोड़ा में
गौर वर्ण सुंदर सौम्य मुखाकृति
मुखरित व्यक्तित्व और कृतित्व
वे हैं महाकवि सुमित्रानंदन पंत।
कविता, नाटक हो या उपन्यास
सभी विधाओं का किया विन्यास।
देशभक्ति की जोत जलाने वाले
सुख-दुख का संतुलन बनाने वाले
कविताएं जिनकी जीवन में बसंत
वे हैं महाकवि सुमित्रानंदन पंत।
छुटपन में रुपये बोने वाले
पैसों की फसल उगाने वाले
चाँद की बात समझाने वाले
जीवन का मर्म बताने वाले
देखें सौंदर्य शिखाओं में अनंत
वे हैं महाकवि सुमित्रानंदन पंत।
चींटी बनी कल्पना का आधार
करती परिश्रम जो दिन-रात
हिमालय पर्वत हो या बादल
परिवर्तन का हो तांडव नृत्य
वर्णित किया ज्यों ज्ञानी संत
वे हैं महाकवि सुमित्रानंदन पंत।
स्वरचित व मौलिक रचना
डॉ. अर्पिता अग्रवाल
नोएडा, उत्तरप्रदेश
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