नमन मंच
दिनांक - 27/9/2020
*बिटिया दिवस विशेष*
मेरे अंश की नन्हीं परी, सुंदर तेरा रूप है,
मेरे मन की कल्पना के तू बिल्कुल अनुरूप है।
मेरा तू अभिमान है,पापा की जान है
शोख, चंचल, चपल,कहते सब मां का रूप है
बातों में मिठास, तुझसे है हमको, जीने की आस,
लगती सर्दियों में निकली सुकून वाली धूप है।
धैर्य,गंभीर, वीर लगती सबकी नानी हो,
मुखड़े पर मुस्कान बिखेरे, अद्भुत रूप अनूप है।
अदम्य,साहसी पर.... लगता अमानवीयता का डर है,
सोचे माधवी ' वर्चस्वी ' इस कुरूप जहां में कैसे बचाए उसका रूप है।
माधवी गणवीर
1 टिप्पणियाँ
बहुत ही खूबसूरत रचना है आपकी बधाई हो
जवाब देंहटाएंवेटी घर की आन है वेटी घर की शान
वेटी से ही महकता है यह सकल जहान
माधवी जी इधर कोरोना काल में आपकी रचनाएं बहुत कम पढ़ने को मिल रही हैं पत्रिका भी कम आ रही है बहरहाल आप बहुत ही लिखती हैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि आपकी लेखनी यूं ही हमेशा चलती रहे आशा है कि आप सपरिवार स्वस्थ एवं प्रसन्न होंगी आपको एवं आपके परिवार वालों को मेरी तरफ से ढ़ेर सारी शुभकामनाओं सहित शुभ रात्रि