मंच को नमन
बेटी
|बेटी हूँ इस दौर की |
एक दौर था ऐसा
मेरे जन्म से लेकर घर,
में होती थी चिंता|
एक दौर ऐसा था..
मेरे जन्म से पहले ही,
भ्रूणहत्या करने के लिए सोचते थे,
इस संसार में|
एक दौर था ऐसा ..
मेरे जन्मदिन से ही पीडा झेल ती है , माँ मेरे|
एक दौर था ऐसा..
मेरे जन्म से ही होते थे,
चर्चा इस संसार में|
एक दौर था ऐसा..
मेरे जन्म से ही इकट्ठा करते थे
पैसा पपा मेरी पढ़ाई के लिए|
एक दौर था ऐसा..
मेरे जन्म से ही ढूंढना,
सूरू करते पती मेरे लिए|
एक दौर था ऐसा..
मेरे जन्म से ही चर्चा करते थे,
घर में मेरे पपा के दूसरी शादी के |
एक दौर था ऐसा..
लेकिन अब कहते हैं हमारे प्रधान ,
बेटी बचाओ बेटी पढा़ओ |
लेकिन अब नहीं करेंगे ,मेरी बुराई,
मेरे जन्म से ही मुझे मानते हैं ,
घर की लक्ष्मी |
जिस घर में मेरे जन्म होता है ,
उस घर को कहते शांतिनिवास |
जिस घर में जन्म ली हूँ,
उस घर की प्रगति के पथ हूँ |
जिस देश में मैं जन्मी हूँ ,
उस देश को कहते हैं भारत माता|
(अंबूतनयमहेश)
डॉ मलकप्पा अलियास महेश बेंगलूर कर्नाटक
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