❤️बेगम की कोठी❤️
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बेगम की कोठी एक,पहचान बन गई ।
कितने अरमां हरम में दफन हो गए।।
ये बेगमे बादशाहो की शान बन गई ।
रंगीनियों के महफ़िल जब सजने लगे ।
खूबसूरती बेगम की भी एक जाम बन गई।
जाम के प्याले,जब-जब खनकने लगे।।
इश्क के नाम पर रूहे तड़पती गई।
भारी गहने दिल"को जकड़ने लगे।।
भारी पोशाकें उनकी कफन बन गई
सारे जज्बात दीवारों में दम तोड़ने लगे ।।
बेगम की कोठी ,प्यार में कब्र बन गई ।
सज़दे में लोग सर को, झुकाने लगे।।
प्यार की एक निशानी अमर हो गई ।
लोग "किस्सों" में उसको "सुनाने" लगे ।।
इश्क़ के नाम पर रूह कुर्बान हो गई ।
कुर्बानियो की कीमत,महल में सजाने लगे।।
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स्वरचित और मौलिक
सर्व अधिकार सुरक्षित
शशिलता पाण्डेय
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