कवि निर्मल जैन 'नीर' जी द्वारा 'जय गणेशा...' विषय पर रचना

जय गणेशा....
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वन्दनीय हो~
तीनों लोकों में तुम
पूजनीय हो
गौरी नन्दन~
हम सब करते
कोटि वंदन
जय गणेश~
मिटा दो मेरे मन
के सारे क्लेश
हे! विघ्नहर्ता~
रिद्धि सिद्धि के दाता
हो सुख कर्ता
पीड़ा हर लो~
सुख समृद्धि से ये
झोली भर दो
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     निर्मल जैन 'नीर'
  ऋषभदेव/राजस्थान

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