भास्कर सिंह माणिक,कोंच जी द्वारा रचना “मुक्तक समीक्षा प्रस्तुत"

मंच को नमन

मुक्तक समीक्षा प्रस्तुत

अपने दिल की बात तुमसे कह रहा हूं मैं
पाकर  दुलार  आपका  मुस्का  रहा हूं मैं
कोई  बात आपसे छुपी रहे नहीं सकती
 प्रिय  मित्र  गीत  श्रृंगार  के गा रहा हूं मैं

रूठे  मित्र  को  मना रहा हूं मैं
गीत  प्यार  के  सुना रहा हूं मैं
द्वेष  मैं होती विध्वंस की गति
आज बात सच बता रहा हूं मैं

एक  झूठ के लिए सौ बोलना
ऐसा  शब्द  फिर क्यों बोलना
दर्पण  की तरह बात कीजिए
माणिक सदा सच को बोलना


मौलिक मुक्तक
भास्कर सिंह माणिक,कोंच

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