पवित्र बंधन# कवियित्री स्वाति'सरु'जैसलमेरिया जी द्वारा#

*पवित्र बंधन* 

विवाह ये पवित्र बंधन जीवन संग 
बिताने की कसम सात फेरों में खायी जाती।।1।।
मंगलसुत्र पहनाकर ही विवाह की
 रीत-ए-परिभाषा बतायी जाती...।।2।।
.
सुहाग की निशानी ये रिश्तों
 को बांधने का हुनर जानती ये
 इस डोर में इतना है दम ।।3।।
इसी के चलते फेरों में दी जाती है 
सात जन्मों का रिश्ता निभाने की कसम ।।4।।
.
काले मोतियो से सज़ा इसका रुप
, रक्षा करता अपने सिंदुर-ए-सुहाग की।।5।।
इस वरदान में सोचता जरुर इंसान, क्यूं और कैसे करे बेवफाइ, ये निशानी है विवाह-हवन-ए- आग की।।6।।
.
सन्मान करो इस काले मोतीयो 
की माला का, कहते जिसे हम मंगल-सुत्र।।7।।
ये है सबसे पवित्र और 
अटुट बंधन का एक अमर-सूत्र।।8।।
.
स्वाति'सरु'जैसलमेरिया

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ