मेरी स्वरचित रचना
विषय -दूर है मंजिल
मैं मार्ग की अडीग पथिक हूँ
दूर है मंजिल मार्ग से अभी
मैं मार्ग चुनाव में सटीक हूँ
अनुशासित है दृढ़ मेरा
छढ़ मात्र में नया सवेरा
हूँ छॊर पर पथिक सी मैं
मजिल पर हूँ अडीग सी मैं
ना रोकती मार्ग की रुकावटे
मैं रजनी की चमकती कलानिधि
मैं दिवा की प्रकाशमयी अंशुमाली
रुकना ना कर्म मेरा
हूँ धूप में बरखा सी गिरी
लहर लहर तालाब उफान जाऊ
छडीग मात्र राहगीर ना पहचान मेरी
दूर है मंजिल लेकिन परिणाम ही है मंजिल मेरी
गरिमा विनित भाटिया
अमरावती महाराष्ट्र
7409868796
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