कवि डॉ.मलकप्पा अलियास जी द्वारा 'प्रेम' विषय पर रचना

मंच को नमन 
🙏प्रेम 🙏

खेल न समझ प्रेम को, 
प्रेम है प्रभु का 
रूप  |

प्रेम निभाने हो तो, 
रखना वश में मर्कट  
रूपी मन को |

जग का नियम वही है, 
निर्मल स्वभाव के होते 
हैं वो सबका साथ 
लेकर चलता है |

लडना, झगडना छोड़, 
आपस में भाईचारा निभाना है |

देश की एकता में, 
हमें एक होकर जीना है |

खुशियों को जीवन में भरना है, 
यही अनमोल तोहफ़ा 
समझना है |

सबमें प्यार बांटना है, 
इसीको  धर्म समझना है |

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डॉ आमलकप्पा अलियास 
महेश बेंगलूर कर्नाटक
8147151863

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