मंच को नमन
🙏प्रेम 🙏
खेल न समझ प्रेम को,
प्रेम है प्रभु का
रूप |
प्रेम निभाने हो तो,
रखना वश में मर्कट
रूपी मन को |
जग का नियम वही है,
निर्मल स्वभाव के होते
हैं वो सबका साथ
लेकर चलता है |
लडना, झगडना छोड़,
आपस में भाईचारा निभाना है |
देश की एकता में,
हमें एक होकर जीना है |
खुशियों को जीवन में भरना है,
यही अनमोल तोहफ़ा
समझना है |
सबमें प्यार बांटना है,
इसीको धर्म समझना है |
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डॉ आमलकप्पा अलियास
महेश बेंगलूर कर्नाटक
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