आजाद नज़्म# डॉ. राजेश कुमार जैन जी द्वारा#


 आजाद नज़्म


उन्हीं से हारे हरदम सदा 
 जिन पर था विश्वास हमें
 बेखबर से रहे हम उनसे
 छुपकर वार वह करते रहे..।।
 
 ता उम्र रहा यंकी उन्हीं पर 
जो भीतर घात ही करते रहे
 आस्तीन में छुपे रहे सदा वे
 पल पल बस डसते ही रहे..।।

 गैरों की बातों पर तो हमने
 कभी नहीं विश्वास किया
 अपने ही हमको छलते रहे
 जिन पर हमने नाज किया..।।

 जख्मी दिल को इस कदर
 किया, मेरे चाहने वालों ने 
दिल मेरा नासूर बन गया
 फरियाद करूं मैं किससे..।।



 डॉ. राजेश कुमार जैन
 श्रीनगर गढ़वाल
 उत्तराखंड

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