कवि श्याम कुँवर भारती जी द्वारा 'माँ' विषय पर रचना

देवी भजन - माँ आशापूरी  (आल्हा धुन)
आशापूरी दुर्गा माँ की सुनो कथा सब ध्यान लगाय |
राजगढ़ के पढ़ाना वन मे बैठी माता आसन लगाय |
मध्य प्रदेश की मात भवानी दर कोई खाली न जाय |
हिन्दू मुस्लिम सबकी सुनती मनचाहा फल पा जाय |
जगमग जोत अखंड जले महिमा माता वर्णी न जाय | 
करती माँ चमत्कार अनेकों भक्त अचंभित होई जाय |
नवरात्र नवमी मध्य रात्री माता खुद प्रकट होई जाय |
चढ़ के आए शेर सवारी पंजा मंदिर छाप पड़ जाय |
नवमी के रात बारह बजे माता रथ यात्रा को जाय |
ढ़ोल नगाड़ा तासा बाजे मात भवानी मगन होई जाय |
पहिला रथ पढाना निकले दूजे कलकत्ता मे सज जाय|
रहती माता घोर अंधेरी धाम मे बिजली जल न पाय |
जय जय माता आशापूरी जैकार तेरी हरदम होई जाय |
रूप तेरा है बड़ा मनभावन लाल चुनर मे झलकत जाय |
लाल फूलो श्रिंगार सजा झांकी मह मह महकत जाय | 
आँख मे काजल माथे बिंदिया मुख माता का चमकत जाय | 
विनती सुनो माँ आशापूरी मुझ बालक तुम बनो सहाय|
भर दो झोली खाली मेरी तेरे दर कोई नीरास न जाय | 

श्याम कुँवर भारती (राजभर)
कवि /लेखक /गीतकार /समाजसेवी 
बोकारो झारखंड

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