कवयित्री शालिनी कुमारी जी द्वारा 'सुबह सवेरे' विषय पर रचना

🙏मंच को सादर नमन 🙏

विषय : सुबह -सवेरे 💐💐
विधा : कविता 

नव किरणों  से नया आगमन करता सूरज आता है.. 
नया सवेरा नई उम्मीदें 
नई रोशनी लाता है.. 

उजियारा आते ही देखो कैसे तमस दूर भाग जाता है.. 
आओ मन के अंधियारे को भी 
नव किरणों से मुक्त करें.. 

लाए सवेरा जीवन में फिर
नव उदयथल के ताने-बाने बुने.. 
देती है यह नई प्रेरणा 
मुस्काओ तुम कलियों सा.. 

बीते पलों को पीछे छोड़ तुम
नए परगास को अपनाओ.. 
नव दिवस में नई पहल कर
आगे बढ़ तुम बाहें फैलाओ..

उच्छृंखलता से खुले गगन में 
फिर से सफल कदम बढ़ाओ..
सूरज की नव किरणें भी
देती हमें यही संदेश...

जीवन की कठिनाइयों से जूझकर
तुम भी तपके कनक बन जाओ..
अडिग रहो अपने कर्म पथ पर
दृढ़ निश्चयता से बढ़ते जाओ.. !!

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     "शालिनी कुमारी "
         शिक्षिका 
     मुज़फ़्फ़रपुर (बिहार )

(स्वरचित मौलिक कविता )

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