मन्जिल#प्रकाश कुमार मधुबनी के द्वारा रचना#

*बदलाव मंच* 

*स्वरचित रचना*


*मन्जिल* 

 मन्जिल का पता नही 
किन्तु चलना ना छोड़।
तू कर तो वो मदद करेगा।
सब वक्त पर मत छोड़।।

वो होते है वास्तविक
 भिखारी होते है जो 
कुछ नही करते।
वो क्या योगदान करे।
जो मरने से पहले
 हर दिन है मरते।।

वक्त को अपना
 काम करने दे तू  
अपना काम कर।
वक्त रुकता नही 
तू अपना दौड़ पूरा कर।।

स्वाभिमान के लिए
 ही लड़ना है तुझको।
स्वयं के साथ देश के लिए 
कर गुजरना है तुझको।।

अब उससे पहले तू 
स्वयम तो इंतजाम कर।
यू ना किये बिना तू किसी
 पर स्वयं इल्जाम धर।।

तूझे साधना से ही 
आखिर साधन मिलेगा।
तेरे करने से ही देश
 का आराधन होगा।।

*प्रकाश कुमार*
*मधुबनी, बिहार*

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