भिखारी और हम#सतीश लाखोटिया जी द्वारा स्वरचित रचना#

*भिखारी और हम*
ट्रैफिक सिग्नल पर
रूकती है, जब गाड़ी
 आ जाते अपनी झोली फैलाकर
अलग-अलग किस्म के भिखारी

 उन्हें देखकर
अनदेखा करता कोई
 मुँह बिगाड़ के
 उड़ाता कोई खिल्ली
  रईसी अपनी बता के

 उनकी दुर्दशा देखकर
आते मन में ख्याल
मन में कौंधते रहते
 कई तरह के सवाल

नही होता जब हमारा भी
कोई काम आसान
हम भी भगवान से
करुणामयी भीख मांगकर
करते उन्हें साष्टांग प्रणाम

बिजनेस में जब करवाना होता
कोटेशन हमारा पास
हाथ जोड़कर
मिन्नतें करते
हम भी सौ- सौ बार 

 रुपए अगर न हो हमारे पास
उधार मांगने के लिए
हाथ जोड़ते हुए
हम भी जाते
किसी न किसी के द्वार

मनचाहे स्कूल में
दाखिला लेना हो
जब बच्चे का
होती हमारी भागमभाग
नहीं थकते हाथ हमारे
जोड़ते हाथ हम भी बार-बार

नेता भी भीख मांगते वोटो की
जब हमारे आगे
मुंँह बनाते हम भी
लगते ये भी गरीब बेचारे 

जीवन के कष्टमय सफर में
पड़ती जब समय की मार
किसी न किसी रूप में हम भी
विनंती विनय करते कई बार 

गरीबी अमीरी
ईश्वर की रची हुई रचना
हम बच गये
उसी की कृपा समझना
ईश्वर ने किसी को बनाया गरीब
उसका क्या दोष
नही दे सकते दान हम उसको
ज्ञान देकर
मत प्रकट करो अपना रोष

सतीश लाखोटिया
नागपुर, महाराष्ट्र
9423051312 
9970776751

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