तुम मिलना मुझे#ममता बारोट जी द्वारा अद्वितीय रचना#

तुम मिलना मुझे 
कभी जल बनकर
कभी वायु बनकर
मेरे प्राण तुम बनकर
तुम मिलना मुझे मे बनकर।

कभी ज्ञान बनकर
कभी ध्यान बनकर
मेरे गुण तुम बनकर
तुम मिलना मुझे में बनकर।

कभी धैर्य बनकर
कभी शौर्य बनकर
मेरे बल तुम बनकर
तुम मिलना मुझे में बनकर ।

कभी प्रेम बनकर 
कभी स्नेह बनकर
मेरे दोस्त तुम बनकर 
तुम मिलना मुझे में बनकर ।

कभी छाव बनकर
कभी नाव बनकर
मेरा सहारा तुम बनकर 
तुम मिलना मुझे मे बनकर ।

कभी राह बनकर
कभी चाह बनकर
मेरी मंज़िल तुम बनकर 
तुम मिलना मुझे में बनकर। 

कभी सपना बनकर 
कभी अपना बनकर
मेरे संगी तुम बनकर 
तुम मिलना मुझे में बनकर ।

कभी दर्पण बनकर 
कभी अर्पण बनकर 
मेरे समर्पण तुम बनकर 
तुम मिलना मुझे में बनकर ।

कभी पहचान बनकर
कभी अरमान बनकर 
मेरे अंतर्ध्यान तुम बनकर 
तुम मिलना मुझे में बनकर ।

कभी चित्रकार बनकर
कभी रचनाकार बनकर
मेरे फनकार तुम बनकर 
तुम मिलना मुझे में बनकर ।

कभी मुझमे में बनकर 
कभी मेरा मान बनकर
मेरे अस्तित्व तुम बनकर 
तुम मिलना मुझे में बनकर। 

ममता बारोट
स्वरचित

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