शिव प्रकाश पांडेय 'साहित्य' जी का अद्भुत मुक्तक#बदलाव मंच

मैं सोच की झंकार का इक तान हूँ पर घाव सा,
मुझको सभी सुधि खे चलो मैं राष्ट्र का हूँ नाव सा।
मैं मित्र,भाई,वत्स सबका हूँ मधुर आशीष दो,
स्थिरता को चंचल कर सकूँ हर जगह बदलाव सा।।
                          -शिव साहित्य🌹

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ