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*पापा की बेटी**
मेरे लिए कुछ ना कुछ लाते हैं।
मगर मेरे आंसु आते हैं।
पापा जब बाहर जाते हैं।
रखूंगी लाज अपने कुल की।
मैं गुड़िया मेरे बाबुल की।
देखे बिन उनको,
रह ना पाऊं बिल्कुल भी।
कर,करके देरी मुझे रुलाते हैं।
पापा जब बाहर जाते हैं।/
कुछ ना लूंगी मैं,आप जल्दी आ जाना।
सिंदूर मम्मी का, खुशी भैय्या की ले आना।
छुपकर चुपके से,
मुझे ना सताना।
नैन इन्तजार में, दर से हट ना पाते हैं।
पापा जब बाहर जाते हैं।//
सांसे तुमसे हैं , जिन्दगी तुमसे।
धड़कन मेरी है,हर खुशी तुमसे।
श्रंगार मम्मी का,
घर की रोशनी तुमसे।
हम हंसते ना,खेल पाते हैं।
पापा जब बाहर जाते हैं।///
घर की जिम्मेदारी आप उठाते हो।
मुश्किल सारी, सब सह जाते हो।
अपनी परेशानी,
कुछ ना बताते हो।
पूछती हूं,तो बस मुस्कुराते हो।
हम कुछ भी पीते ना खाते हैं।
पापा जब बाहर जाते हैं।
मेरे लिए कुछ ना कुछ लाते हैं।
मगर मेरे आंसु आते हैं।
पापा जब बाहर जाते हैं।////
मौलिक
*अनन्या तोमर*
एल.एस.तोमर
मुरादाबाद यूपी
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