बेटियांँ ही तो हैं जग को पावन किए(बेटी दिवस पर बेटियों को समर्पित)
बेटियांँ ही तो हैं जग को पावन किए।
बेटियों से ही जलते हैं घर के दिए।।
रौशनी कुल की होती है बेटी सदा।
बेटियों ने ही घर को दिया है सजा।।
रूप देवी का है बेटी संसार में।
खुशियां रहतीं सदा हो बेटी परिवार में।।
बेटियांँ ही तो हैं घर को सावन किए।
बेटियांँ ही तो हैं जग को पावन किए।।
बेटी अवला नहीं बेटी से ही जिता आज संग्राम है।
बेटी पहले यहांँ,सीता पहले यहां बाद में राम है।।
बेटियांँ ही तो हैं इस जग की माता बनीं।
लाया दुनिया में हमको जन्म दाता बनीं।।
बेटियों ने ही बसंती मन के आंँगन किए।
बेटियांँ ही तो हैं जग को पावन किए।।
रूप दुर्गा का है रूप चंडी का है रूप झांँसी की रानी का है।
रूप मां शारदे का रूप संतोषी मांँ का रूप अम्बे भवानी का है।।
रूप लक्ष्मी का है रूप ज्योति का है रूप है आरती का।
रूप गंगा का है रूप यमुना का है रूप है मांँ भारती का।।
बेटियों ने बनके राधा यहांँ कितने वृंदावन किए।
बेटियांँ ही तो हैं जग को पावन किए।
आसरा बाप का बेटियांँ मांँ का सहारा भी हैं।
बेटियांँ छांव शीतल निर्मल जल का फुहारा भी हैं।।
बेटियांँ ही तो हैं जग को सावन किए।
बेटियाँ ही तो हैं जग को पावन किए।।
गौरव मिश्र तन्हा
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