आँख से बहल आँसू तू पानी कहा सब मंजूर बा |
बहल काहे ई पानी बतावा हमार का कसूर बा |
कईल तोहसे प्यार का ई गुनाह हो गईल बोला |
तोड़ दिहलु दिल हमार धंसल करेजा नासूर बा |।
सोचली सजाइब प्यार के दुनिया तोहरे संग हम |
तोड़ के सपना चल दिहलु कईल दगा जरूर बा |।
गड़े ना कबों काँटा पाँव दिल बिछवली आपन |
कुचल दिहलु मोर करेजा तोहरे इश्क के शुरुर बा |।
मरम दिल बुझतु करम करतू ना तू कबों अइसन |
साँच आशिक हई छोडब ना साथ दिल मजबूर बा |।
तू हमार जान हमार परान सब कुछ तुही तू बाड़ू |
तोहरे प्यार के हमरो ये जान सबसे गुरूर बा |।
अँखिया मे समा के दिल मे काहे उतर गइलू |
कइसे करी हम प्यार हमरो कुछउ ना सहुर बा | ।
श्याम कुँवर भारती (राजभर)
कवि /लेखक /गीतकार /समाजसेवी
बोकारो झारखंड मोब -9955509286
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