खिलौनें जो कभी जिंदा थे!#शशिलता पाण्डेय जी द्वारा शानदार रचना#

🎊खिलौनें जो कभी जिंदा थे!"🎊
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दिल के खिलौनें जो कभी जिंदा थे!
दिल मे नयें ख्यालात अपनी ऊंचाइयों,
को छूने को बेताब जैसे कोई परिन्दा थे!
यूँ मचल रहे थे जज्बात गहराइयों मे
जैसे जिंदगी मुश्किलों से भरें घरौंदे थे!
हर मुश्किलों से लड़ने को हौसले बुलंद,
करने को पूरा अपनें सपनो को शर्मिन्दा थे!
दिल के खिलौनें कभी मरते नही जिन्दगी में,
 हर वक्त जिंदा है जिन्दा रहेंगें संग-संग!
 जिन्दगी तो नेमत ख़ुदा की पर हम बंदे,
जिंदा है तभी जिन्दगी में जबतक हो उमंग! बेशक, ज़िन्दगी हमारी हम खिलौनें ईश्वर के,
 दिल तो अपना खिलौना गुजारो जिंदादिली से !
  पतझड़ आती है कभी आती जिन्दगी में बहारें,
जिन्दगी एक जिंदा खिलौना तोड़ो ना बुजदिली से!
जलाकर रक्खो उम्मीद का दीपक जिन्दगी में,
इंसान और इंसानियत रहते जिंदा सपनो के सहारे!
अपनें दिल का खिलौना और अरमान हमारे,
ना मरनें हम देंगे अपने दिल के खिलौनों को!
दिल के खिलौनें को जिंदा रखेंगे जज्बातों के सहारे,
 जो खिलौने कल जिंदा थे!आज भी जिंदा रहेंगें!
हम न छोड़ेंगे अपने जिंदा हौसलों को ,सपनों को,
बनायेगें अपना ऐसा मुकाम लोग फिदा रहेंगे!
ना तोड़ेंगे दिल अपना ना तोड़ने देंगें किसी को,
 जिन्दगी जिंदादिली का नाम है,जिंदा है जिंदा रहेंगे!
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लेखिका :-शशिलता पाण्डेय
स्वरचित और मौलिक
सर्वाधिकार सुरक्षित

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