मातृभूमि#बाबूराम सिंह कवि जी द्वारा रचना#

मातृभूमि का कण -कण पावन...
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मातृभूमि कण-कण पावन परम अनूठा प्यारा है ।
सर्वोपरि  है  भारत भूमि सकल विश्व से न्यारा है ।

दिव्य  मनोरम  मातृभूमि  है सुखद  सलोना ।
स्वर्ग से न्यारा अतिशय प्यारा है कोना-कोना।
वरदायी  मिट्टी  भी  है  अउव्वल खांटी  सोना।
पद  रज पावन  चंदन है इसे कदापि  न  खोना।

इसी पर पावन गंगा ,यमुना ,सरस्वती की धारा है।
सर्वोपरि है  भारत भूमि सकल विश्व से न्यारा है।।

गरिमा  महिमा  मातृ भूमि  की  अपरम्पार सदा।
अनेकों श्रीहरि  का  हुआ यही पर अवतार  सदा।
देन इसीकी सभ्यता ,संस्कृति अनुपम विचार सदा।
कोटिक  जन आभा से इसकी होते  भवपार  सदा।

विश्वकल्याण सनातन से विश्वगुरु ने ही संवारा है।
सर्वोपरि  है भारत भूमि  सकल विश्वसे न्यारा  है।।

सत्य ,अहिंसा ,क्षमा ,दया का अदभुत श्रोत यही।
सेवा ,प्यार ,परहित ,परमार्थ भी ओत प्रोत यही।
भक्ति भाव भजन तप का दिव्यतम ज्योत यही।
अमरत्व ,वीरत्व ,मोक्ष  पद  को पाता मौत  यही।

मातृभूमि ममत्व सत्य का अदभुत अहा नजारा है।
सर्वोपरि है भारत भूमि सकल विश्व से न्यारा है।।

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बाबूराम सिंह कवि 
बड़का खुटहाँ , विजयीपुर 
गोपालगंज ( बिहार)841508
मो0नं0- 9572105032
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