रामधारी सिंह दिनकर#दिनेश चंद्र Sप्रसाद "दीनेश" कलकत्ता जी द्वारा बेहतरीन रचना#

बदलाव अंतरराष्ट्रीय-रा
दिनाँक २३-९-२०२०
विषय-रामधारी सिंह दिनकर
शीर्षक-"रामधारी सिंह 'दिनकर' "
विश्व पटल के विस्तृत आंचल पर
भारतभूमि के श्रीपावन धरती पर
जिला मुंगेर अब है बेगूसराय राज्य
बिहार है गाँव का नाम है सिमरिया
23 सितंबर 1908 को इस धरा पर
एक लाल जन्मा यहाँ जो
क्रांति का बिगुल बजाया
रामधारी था नाम उनका
थी सिंह की उनकी 'हूंकार'
'कुरुक्षेत्र' मैदान पहुँचे होके
'रश्मिरथी' पर वह सवार
फूँक देती मुर्दों में जान
उनकी कविता में थी 
गज़ब की अनोखी पहचान
साहित्य जगत में छा गए
बनके दिनकर जी महान
श्रृंगार रस 'उर्वशी' से प्यार 
बना दिये उसे भी महान
वीर रस में 'रेणुका' से
उन्होंने जब हूंकार भरे
'परशुराम की प्रतीक्षा' कराये
तब मच गया 'हाहाकार'
'संस्कृति के चार अध्याय' से
रच डाले वो 'चक्रव्यूह'
'आत्मजयी','वाजश्रवा के बहाने'
राष्ट्रकवि 'दिनकर' जी बन गए
मिला साहित्य अकादमी
और ज्ञानपीठ पुरस्कार
24 अप्रैल 1974 को
इस धरा को छोड़ गए
अपनी अमिट कृतियों से
सदा के लिए अमर हो गए
जन्म दिवस पर बार-बार
"दीनेश" का आज नमन 

दिनेश चंद्र Sप्रसाद "दीनेश" कलकत्ता
रचना मेरी अपनी मौलिक रचना है।

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