मंच को नमन
बेटी
दरवाजे के सामने आंँगन में
सुंदर रंगोली दिखनी चाहिए
हर घर में कम से कम
एक बेटी होनी चाहिए
बेटी याने घर की धड़कन
खो जाता है उसको देखकर भान
अगर बेटी घर पर है
घर कैसे खिलता है
घर पर उसका होना
शीतल चंदन का लेप
उसका नाम क्यों
होंठ पर चौबीस घंटे रहता हैं
बलिदान, प्यार, स्नेह, देखभाल
शब्द सिर्फ उसके लिए
आज सुस्त लग रहे हों
क्या पापा आपको ठीक नहीं है?
यह प्रश्न बेटी ही पूछती है
क्या चिंता की कोई बात है?
माता-पिता का मन पढ़ने के लिए
वह भाषा कहां सीखती है?
सभी दुखों को गले लगाकर
वह दूसरों के लिए जीती है?
बेटियाँ की आवाज गूँजने से
घर खिलता है
कूछ रहे या नहीं
मन कैसे भरता है
माता-पिता की वृद्धावस्था
बेटी ही होती हैं उनकी माँ
घर चाहे कितना भी बड़ा हो
"बेटी के बिना कोई धनवान नहीं है
बेटी के लिए भगवान के सामने
हाथ जोड़कर बैठना चाहिए
हर किसी के आगंन में
"तुलसी का पौधा" होना चाहिए।
अनिता ईश्वरदयाल मंत्री
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