कवि प्रकाश कुमार मधुबनी"चंदन" (विषय-अब्दुल कलाम- एक उद्देश्य)

*स्वरचित रचना*

साप्ताहिक प्रतियोगिता

*अब्दुल कलाम- एक उद्देश्य*

एक साधारण निर्धन मछुआरे  वर्ग का,
 बच्चा पला नाम हूआ कलाम ,
जिसने एक साथ पढी गीता और कुरान।

वो बचपन मे उड़ने के देखा करता सपने,
 हैरान थे परेशान उसके अपने 
एक अध्यापक के मात्र ये कहने पर ,
तुम भी पंछी सा उड़ सकते हो 
प्रयत्न करो परिश्रम करो इक्षा  हो 
तो सत्य राह पर बढ़ सकते हो ।

इतिहास के स्वर्ण पन्ने पर दर्ज हुआ वह इंसान ,
जहाँ हिन्दू मुस्लिम आपस मे लड़ते ,
तेरा मेरा कह अल्लाह औऱ भगवान ।

जिसने दिया ये नारा मानव व शिक्षा धर्म का 
उसने लगा दिया सर्वस्व देश हित मे 
कह जय भारत जय विज्ञान।
लालच दिया अमेरिका ने जिसे
 बात मान जाए वो उनका तो 
देंगे धन रुतबा और मान।

जिसमें ठुकरा दिया बात अमेरिका की,
 बना दिया विस्व में भारत को महान 
ऐसा करने को उसने लिया संकल्प ठान 
मिशाइल मैन का नाम मिला जिसको पहचान 
जिसके नाम से आर्यव्रत को
 मिला विस्व में फिर नवीन पहचान।

 जिसने फूक दि अपना जान 
आज उनसे चमका नासा ओर इसरो 
जिसने एक धागे में पिरोया भारत को 
वो स्वयम में भारत बना, नाम कर गया कलाम 
धन्य है जीवनी उनकी धन्य वो आत्मा महान 
जिसके उपदेशो से जाग रहे सर्वत्र बूढ़े बच्चे व जवान।

जिसने ना तो जमीन बनाई
जिसने ना तो धन छुपाया 

ली जिसने भीष्म पितामह सी प्रतीज्ञा
जो दे गया अपने लहू का कतरा- कतरा 
वो माहाभारत के गुरु कृष्ण सा दे गया 
विद्यार्थियों को अर्जुन सा ज्ञान पुण्यभूमि के नाम
हे परम् तेजस्वी आत्मा तुम्हे कोटि कोटि नमन 
है विस्व को गर्व तुम पर कलाम।

©प्रकाश कुमार मधुबनी"चंदन"

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