कवयित्री योगिता चौरसिया जी द्वारा रचना “विषय-गांधी जी अहिंसा और प्रेम”

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विषय-गांधी जी अहिंसा और प्रेम
     गांधीजी ने अपने जीवन काल मे अहिंसा और
प्रेम को बहुत महत्व दिया है।अहिंसा और प्रेम देश
मे आदर्श स्थापित करते हैं।प्रेम का अर्थ यह नहीं हैं कि
एक दूसरे से करें यह तो सौदा हुआ।प्रेम तो किसी भी प्राणी से कर सकते है।गांधी जी के अनुसार -"जो
 हमसें घृणा करें उससे भी प्रेम करो।प्रेम कष्ट सहने की हिम्मत देता हैं और पाषाण को भी पानी बना देता हैं।विरोध हमेशा धधकती आग की मे घी का काम करता हैं।जिससेंहिंसा पनपती हैं।"अंहिसा की पराकाष्ठा पशुओं को भीअपने बस मे कर लेती हैं।
         अंहिसा के विरोधी कहते हैं कि अहिंसा से सर
वस्वनाश समझो,पर भारत इतना बड़ा भूमंडल हैं।
अगर भारत मे अंहिसा और प्रेम तो आत्मा बल प्राप्त
करेगा।"प्रेम व सत्य अहिंसा का शस्त्र ले लिया जाये तो
और किसी अस्त्र की जरूरत नहीं होगी।
  मनोविज्ञान कहता हैं पाशविक प्रवृत्तियों को हमेशा
दबाकर रखना चाहिए।पशु प्रवृत्ति उत्पन्न होकर सब 
कुछ खत्म कर देती,हिंसा को जन्म देती हैं।हिंसा रहित
मनुष्य सरल व सहज जीवन व्यतीत करता हैं।
  गांधीजी ने देशवासियों को अहिंसा और प्रेम का महत्वसमझाया और देश को आजादी दिलाने इन्हीं शस्त्रों का प्रयोग किया।माना कि उनका नारा था "करो और मरो "  पर महत्व अहिंसा और प्रेम को दिया।जिन्होंने इसका महत्व समझा वहीं सफल व्यक्ति बनाता हैं।
स्वरचित...
अप्रकाशित...
योगिता चौरसिया
मंडला म.प्र.

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