कवि अरविंद अकेला जी द्वारा रचना “दर्शन दे दो तुम एकबार"

कविता 

दर्शन दे दो तुम एकबार 
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अब तो आ जा मोहे घर साँवरे,
दर्शन दे दो तुम मुझे एकबार,
तुझमें कान्हा की छवि देखती हूँ,
करती हूँ मैं तुमसे प्यार।

मुझसे तुम रूठो नहीं कभी,
विनती है तुमसे बार बार,
तुम हीं मेरे जीवन की नैया,
तुम हीं हो मेरे पतवार ।

तुम बिन मेरी जिंदगी अधुरी,
अधुरा है मेरा घर संसार,
अब नहीं मैं कभी सताऊंगी,
मान ली मैं अपनी गलती,हार।

आओगे तो जाने नहीं दूँगी,
तोरे पैयाँ पडूंगी बार बार,
बनकर रहूंगी तेरे चरणों की दासी,
करूंगी तुमसे प्यार प्यार प्यार।
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           अरविन्द अकेला

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