कवयित्री शशिलता पाण्डेय जी द्वारा रचना “चिड़िया की दुनियां”

चिड़िया की दुनियां
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एक नन्ही सी चंचल चिड़िया,
फुदक-फुदक कर डाली-डाली।
उड़ने को उन्मुक्त गगन में,
तोड़ लौह पिजड़े को जाली।
मुक्त पवन में उड़ती चिड़ियां,
मन उड़ता ऊँचे अम्बर पर।
विस्तृत है चिडियां की दुनियां,
एक पंख लगाकर अरमानों के।
नील गगन में उड़ती मतवाली,
बड़े-बड़े सपने चिड़िया के।
कर लूं कुछ अपनी मनवाली,
उड़कर ऊँचे अम्बर छू लू ।
मैं मुक्त पवन की बनू सहेली,
बड़े-बड़े सपने चिड़ियां के।
खुले गगन मे उड़ती अलबेली,
पिजड़े में कैद करो ना मुझको।
मैं  दुनिया का कोई बंधन ना झेली,
मैं तो मस्त अपनी धुन में उड़ती।
कुछ उदास सी चिड़ियां बोली,
सर पटक मर जाऊ पिजड़े में।
मेरी हवा का रुख ना मोड़ो,
कुछ अपने मन की कर लेने दो।
मेरे सपने ना बेदर्दी से तोड़ो,
मुझें अपने मन का जीवन जीने दो।
मैं आजाद चमन की एक सहेली,
मुक्त पवन में ऊँची उड़ान भरने दो।
होंगें विखंडित पंख मेरे पिंजरे से टकराकर,
मेरे सपनों में रंग नया भरने दो।
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स्वरचित और मौलिक
सर्वधिकार सुरक्षित
कवयित्री:-शशिलता पाण्डेय

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