कवयित्री एकता कुमारी जी द्वारा 'मैं नारी हूँ' विषय पर रचना

सप्ताहिक प्रतियोगिता 
नमन - बदलाव मंच 
विषय - नवरात्रा और नारीशक्ति
शीर्षक - मैं नारी हूँ 
दिनांक - 20.10.2020

नारी हूँ मैं, मैं हूँ नारी,
जगत की हूँ मैं पालनहारी।
       नारी हूँ....
मैं जननी हूँ, मैं भगिनी हूँ,
मैं ही प्रिय - प्रेयसी।
मुझसे ही सारी बातें
और सारी बातें मुझमें है।
गीत - ग़ज़ल हूँ मैं ही और 
सबकी कविता - शायरी हूँ ।
         नारी हूँ.... 
मैं तपस्विनी अनुसुईया, मैं यशोदा मैया हूँ। 
मैं ही सीता - राधा और 
मैं ही रुक्मिणी - मीरा हूँ ।
इंद्र के छल से बनी पाषाण अहिल्या हूँ। 
मैं ही आदिशक्ति और मैं उनकी माता मैना हूँ। 
मृत्युलोक की मैं भक्ति, 
देवों की भी मैं हूँ शक्ति। 
मैं जीवन रसधारी हूँ। 
          नारी हूँ.... 
हर किस्से की सारांश हूँ मैं, 
जीवन की पूर्ण अक्षांश हूँ मैं। 
सबकी भाषा की व्याकरण, 
हर समस्या की हूँ निराकरण। 
कमजोर नहीं, मैं कोमल हूँ, 
सरल अभिव्यक्ति है मेरी। 
अनुपम छवि, मैं प्यारी हूँ ।
         नारी हूँ.... 
जिम्मेदारियों का बोझ, 
जब कंधों पर मेरे आया। 
चाहे राष्ट्र की हो गहरी बातें, 
चाहे गृहस्थी की दिन व रातें। अपने इन नाजुक हाथों से, 
मैंने तलवारें भी थामी है। 
वक़्त आने पर ऑटो - रिक्शा 
भी हमने चलाया है। 
मैं सुरभि - सी सुकुमारी हूँ। 
        नारी हूँ.... 
मैं हूँ भला अबला बेचारी, 
यह बात मैंने भी स्वीकारी। 
लेकिन सच तो यह है कि, 
मौत भी मुझसे हारी है। 
         नारी हूँ... 
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       **एकता कुमारी **

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