कवयित्री योगिता चौरसिया जी द्वारा 'नारी-शक्ति' विषय पर रचना

बदलाव मंच-नमन राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय
साप्ताहिक प्रतियोगिता(18अक्टूबर से24 अक्टूबर तक)
20/10/2020
विषय-नारी शक्ति/नवरात्रि
विधा-कविता
शीर्षक- नारी शक्ति-मजदूर नारी
नारी का  सघंर्ष से, चमकता चेहरा।
 जीवन में हैं,जिम्मेदारीयों का पेहरा।।

जंगल से लकड़ियों को,काट कर लाना।
बच्चों के भूखे पेट की,ज्वाला मिटाना।।

 ये ईंटों गिन गिन,सिर पे रख लेती ऐसे।
 दुखों को चुन चुन,जिंदगी सजाती जैसे।।

मुश्किलों सा लगता,हर दिन का सबेरा।
हार न मानती हैं,चाहे हो घना कोहरा।।

उदित किरणों से,फरियाद हैं उजाला।
जीवित सांसो की,फरियाद हैं बचाना।।

बच्चों के भविष्य में,शुभ पुंज की आभा।
ऊर्जा भरती जीवन में,परिश्रम की काया।।

जिंदगी के सफर में,अपने फर्ज निभाना।
पैर में लिये छाले,अपने कर्मों को निभाना।।

अब नारी हर क्षेत्र में, रहती हैं आगे ऐसे।
 श्रम करती,अबला नहीं सबला हो जैसे।।

हाँ मै भी एक नारी हूँ, सारे फर्ज निभाती।
त्याग, समर्पण करती,मै आज की नारी हूँ।।

हाँ मैं ही दुर्गा, मैं ही काली, मै ही रानी हूँ।
ममतामयी माँ,मैं सबला मजदूर नारी हूँ।।
स्वरचित/मौलिक/अप्रकाशित/सुरक्षित
योगिता चौरसिया,
अंजनिया मंडला(म.प्र.)

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