कवयित्री गरिमा विनीत भाटिया जी द्वारा 'हार को है जीत में बदलना' विषय पर रचना

नमन बदलाव मंच 

मेरी स्वरचित रचना 

"हार को है जीत में  बदलना"

मिलते हैं जिन्दगी में मौके बेशुमार 
क्यू मानता है तू पहले से ही हार
राह में आयेंगी मुश्किलें हज़ार
लोग तुझे  रोकेगें पल पल टोकेंगे
गर चूका तू मंजिल से फ़िर कोसेगें
शाम का तो काम है  ढलना
फ़िर आयेगा नया सवेरा
तू इन तानो से नहीं डरना
ना ओझी बातों से घबराना
तुझे है हार को जीत में बदलना
 ऐ वन्दे तुझे है हार को जीत में बदलना

गरिमा विनित भाटिया 
अमरावती 

garimaverma550@gmail.com

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